स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का चरण II, वित्त पोषण के विभिन्न कार्यक्षेत्रों और भारत सरकार और राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं के बीच अभिसरण का एक आदर्श मॉडल होगा।
जैसा कि 2020-21 के लिए 15 वें वित्त आयोग की अंतरिम रिपोर्ट में वर्णित है, ग्रामीण स्थानीय निकायों को दिए गए 15 वें वित्त आयोग के अनुदानों का 50% जल और स्वच्छता के लिए बंधे अनुदान के रूप में प्रदान किया गया है और आशा है की बाद के वर्षों में भी इसी तरह से धनराशि प्रदान की जाएगी, 15वे वित्त आयोग अनुदान का 30% स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के चरण II के वित्तपोषण के तहत ग्रामीण स्तर की सामुदायिक परिसंपत्तियों के लिए विनियोजित किया गया है।
एसबीएम-जी के तहत चलाई जाने वाली गतिविधियों के अलावा, स्वच्छता गतिविधियों के लिए 15 वें वित्त आयोग के अनुदान का उपयोग अन्य एसएलडब्ल्यूएम गतिविधियों, सामुदायिक संपत्तियों के ओ एंड एम के लिए भी किया जा सकता है।
एमजीएनआरईजीएस निधियों का उपयोग विभिन्न गतिविधियों जैसे कि सो पिट, कंपोस्ट पिट, जल निकासी चैनल का निर्माण, सामुदायिक संपत्ति के निर्माण के लिए श्रमिकों के भुगतान आदि के लिए भी किया जा सकता है।
गोबर-धन परियोजनाओं की अधिक बढ़ाने के लिए, परिवारों और सामुदायिक स्तर की परियोजनाओं के लिए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की एनएनबीओएमपी योजना के साथ अभिसरण किया जा सकता है और सीबीजी संयंत्रों के लिए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की एसएटीएटी योजना के साथ अभिसरण किया जा सकता है।
मल गाद के सह-शोधन के लिए, भारत सरकार या राज्य सरकारों की योजनाओं के तहत गठित अथवा निजि इकाई द्वारा स्थापित मौजूदा एफएसटीपी के साथ अभिसरण करने की योजना बनाने की आवश्यकता होगी।
एसबीएम (जी) के चरण II कार्यक्रम में क्षमता निर्माण और आईसी के बीच अभिसरण स्थापित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के साथ अभिसरण में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को व्यवहार परिवर्तन संचार हेतु शामिल किया जा सकता है। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के कार्यक्रमों के साथ तालमेल स्थापित करके विभिन्न स्तरों पर स्वच्छाग्रहियों, अन्य क्षेत्र अधिकारियों और राजमिस्त्री को प्रशिक्षण देने की योजना तैयार की जा सकती है।